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अनोखा शब्दों से दौड़ता हुआ घोड़ा
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हसीं की महफ़िल

एक इमाम बाजार में अपना घोड़ा बेच रहे थे। घोड़े को खरीदने की मंशा से खरीदार इमाम के पास आया और इमाम से गुज़ारिश की मैं घोड़ा खरीदने से पहले  घोड़े पर बैठकर सैर करके घोड़े की फुर्ती की आज़माइश लेना चाहता हूँ। इमाम ने खरीददार को बताया कि यह घोड़ा अनोखा और सबसे अलग हैं इसे चलाने के लिए सुबहानअल्लाह बोलना होगा, उसे दौड़ाने के लिए अल्हम्दुलीलाह कहना पड़ेगा और रोकने के लिए अलाहु अकबर बोलना पड़ेगा। ख़रीददार आदमी घोड़े पर बैठ गया और सुबहानअल्लाह कहकर घोड़े को लेकर चल पढ़ा। घोड़े के चलने के बाद आदमी ने अल्हम्दुलीलाह कहा और घोड़ा फुर्ती से दौड़ने लगा, आदमी अल्हम्दुलीलाह बार बार बोलता गया और घोडा अपने आप फुर्ती और तेज़ी के साथ दौड़ते चला गया। अचानक आदमी को एहसास हुआ की घोडा बहुत तेज़ी से दौड़ रहा हैं, घोड़े को रोकने का शब्द खरीददार डर के मारे भूल गया। आदमी बार बार इमाम साहब की बातो को याद करने लगा और उसकी जुबां से बार बार अल्हम्दुलीलाह और सुबहानअल्लाह निकलते रहा, घोड़ा एक गहरी खाई की ओर दौड़ते चला जा रहा हैं, खाई से एक उंगल की दूरी पर आदमी को शब्द अल्लाहु अकबर याद आया और घोड़ा वक्त रहते रुक गया। 

 

घोड़ा खाई में गिरने से पहले रुक जाने पर आदमी ने शुक्र अदा करते हुए कहा 'अल्हम्दुलीलाह'

 






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