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श्रीश्री की मुसलमानों को धमकी या समझाईस?
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श्रीश्री की मुसलमानों को धमकी या समझाईस?

अयोध्या मामला नहीं सुलझा तो भारत में बन सकते हैं सीरिया जैसे हालात : श्री श्री रविशंकर

अयोध्या नगरी में राम बसे या बसे रहमान दोनों के नाम से मजे कर रहे है शैतान! सालो से राम मंदिर और बाबरी मस्ज़िद की रहबरी कर न्यालय में अपने अपने स्तर पर अपने पक्ष में साक्ष्य व दलीले पेश करने वाले निगाहबानो की मेहनत पर पानी फेर बीच मे कूद फ़टे में टांग अड़ा आधी रोटी में दाल झेलने वाले श्रीश्री से राम मन्दिर की पैरविह करने वाले तो खफ़ा थे ही अब उनके एक बयान के बाद मुस्लिम समुदाय भी नाराज़गी जाहिर करने लगा है अयोध्या विवाद मामले में जबदस्ती दाख़िल हो शख़्सियत चमकाने की गरज़ से सुलह का रास्ता तलाश रहे श्री श्री रविशंकर ने एक बार फिर विचित्रता भरे बक़वास लफ़्ज़ों का इस्तेमाल कर आग में घी डालने की कवायद की है .  श्री श्री रविशंकर ने इस मसले का निपटारा आपसी समझौते की बजाए कोर्ट के जरिए होने पर माहौल बिगड़ने की आशंका जताते हुए माननीय न्यालय का अपमान किया है और दावा किया कि अयोध्या मामले में अदालत का फैसला विवाद की वजह बना रहेगा. श्री श्री रविशंकर ने समझौते का विरोध करने वालों पर भी तंज कस सवाल उठाते हुए बड़ी खौफनाक तस्वीर खींची. उन्होंने कहा कि अगर अयोध्या विवाद नहीं सुलझा तो देश में सीरिया जैसे हालात हो जाएंगे. श्री श्री के सीरिया वाले बयान पर विवाद शुरू हो गया और मुस्लिम समाज ने इस बयान पर कड़ी आपत्ति जताई है और आसंका भी जताई है कि श्रीश्री की मंशा अयोध्या के सहारे सम्प्रदायिकता का माहुल तैयार करने की है ।

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने इसे गैरज़िम्मेदाराना और भड़काऊ बयान बताया है  हालांकि शिया वक्फ़ बोर्ड के चैयरमेन वसीम रिजवी ने भी श्री श्री रविशंकर के बयान का समर्थन किया है. वसीम रिजवी ने कहा है ये मामले जल्दी नहीं सुलझे तो हिन्दू और मुसलमानों के बीच में जो दरारें बन गई हैं वो और खाई बन सकती हैं. हाल ही में श्री श्री के दावे के उलट बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने दावा किया कि अयोध्या विवाद कोर्ट से ही सुलझेगा. अयोध्या में राम मंदिर और बाबरी मस्जिद का विवाद केस में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू करने से पहले सुप्रीम कोर्ट ने मामले का हल कोर्ट से बाहर आपसी सुलह के जरिए निकालने के लिए सभी पक्षों को समय दिया था, लेकिन कोर्ट के बाहर अभी तक जितनी भी कोशिशें हुई है, सबका नतीजा शून्य रहा !! बहरहाल में ऐसे हालातों में दोनों ही अदालत में फाइट करने वाले लोगो को एक साथ बैठकर बेहत्तर रास्ता तलाशना चाहिए किसी और को ज़बरन दाख़िल होकर दलाली करने से परहेज़ करना चाहिए लाज़मी है अगर कोई इतने सेन्सिटिव मामले में बीच आकर आधी रोटी में दाल झेलेगा गोया वो आग में घी डालने का काम करेगा!!






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