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भोपाल


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सूफ़ियाना शाम शहर के नाम निवालों के क़ाफ़िले लंगर-ए-आम ने तय किया 5साल का सफ़र !!
भोपाल

सूफ़ियाना शाम शहर के नाम निवालों के क़ाफ़िले लंगर-ए-आम ने तय किया 5साल का सफ़र !! 

【-सूफ़ी नाईट-】30/04/18

अनम इब्राहिम 

 मुस्लिम मददगाह |

भोपाल शहर में हर रोज हज़ारो निर्धन मुसाफ़िर गुज़ारे की उम्मीद लिए दाख़िल होते हैं जिनमे से ज़्यादातर मोहताज ऐसे भी होते हैं जिनका शहर में कोई अपना नही होता ये शहर उन्हें न तो सर पर छत दे पाता है और न ही ख़ाने को निवाले परोस पाता है । ऐसे बैसहरा खाली पेट मज़बूरो के लिए शहर में निवालों का मरकज़ बने लंगर-ए-आम की मौज़ूदगी किसी नेमतों से कम नही है। राजधानी के बस स्टैंड पर हर बेसहारों को रोटी परोसने वाले लंगर-ए-आम की बुनियाद मक़बूल अहमद ने 5 सालो पहले बस स्टैंड पर भटक रहे ग़रीब मोहताज़ भुको के दर्द को भांप कर की थी जिस नेक काम का सफ़र 30 अप्रैल को पूरे 5 साल का हो जाएगा। इसमे बड़ी बात ये है कि पिछले 5 सालों में ऐसा कोई भी दिन नही गुज़रा की किसी वजह से लंगर-ए-आम बन्द हो और भुको को निवाले नही परोसे गए यहां हर रोज दर्ज़नो निर्धन अपने पेट की आग भुजाने आते रहे और निवालों के मसीहाओ ने हर हाल में किसी भी बेबस को उदास नही लौटने दिया बहरहाल मक़बूल अहमद के ज़रिए किए जा रहे इस नेक काम को हमदर्दों ने दिल सराहा है। लंगर-ए-आम के सफलतापूर्वक मुक़म्मल 5 साल होने पर शहर में सूफ़ियाना शाम का शमा बांधा जाएगा 30 अप्रैल को शाम ढलते ही सूफ़ियाना महफ़िल शरीक होकर रूह को सुकून पहुचाएं |

इस मतलबी ज़माने की दौराने ज़िन्दगी में जहां लोग बुरा वक़्त देख कर सगे रिश्तो से भी किनारा कर लेते है ऐसे दौर में बिना मफाद के भुको को खाना खिलाना किसी फ़रिश्ते के क़िरदार को निभाने जैसा है!!! दोस्तों इस सूफ़ियाना शाम में शिरकत करके ख़िदमतगारो का हौसला अफजाई करे और दुआओ से नवाज़े!!!



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