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लाउडस्पीकर पर लगी अदालती बन्दिशों का मौलाना अरशद मदनी ने मीडिया से रूबरू होकर किया इस्तक़बाल!!
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लाउडस्पीकर पर लगी अदालती बन्दिशों का मौलाना अरशद मदनी ने मीडिया से रूबरू होकर किया इस्तक़बाल!!

अब क्या आज़ान कीरत भजन भगती की आवाज़ लाऊडस्पीकर पर नही सुन सकेगा कोई?

वतन-ए-हिन्दुस्तां नई दिल्ली: जमीयत उलेमा हिन्द के अध्यक्ष सय्यद मौलाना अरशद मदनी ने मस्जिद,मंदिर,चर्च,गुरद्वारों सहित अन्य सार्वजिनक स्थानों पर लाउडस्पीकर पर प्रतिबंध लगाने के सम्बन्ध में मीडिया से बात करते हुए इस फैसले का स्वागत किया है।

मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि ये फैसला किसी सरकार का नही है अदालत का है इस लिए इसका स्वागत किया जाना चाहिए और इसके सम्बंधित क़ानूनी कार्यवाही पूरी करा लेनी चाहिए और लाउडस्पीकर के इस्तेमाल के लिए इज़ाज़त लेनी चाहिए।

लाउडस्पीकर पर प्रतिबंध लग जाने के कारण मुसलमानों में बेचैनी पैदा होगई है क्योंकि पाँच वक़्त आज़ान लाऊडस्पीकर के माध्यम से दी जाती थी इस सम्बंध में मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि परेशान होने की कोई ज़रूरत नही है अदालत के इस फैसले का सम्मान करते हुए हर जनपद में मुसलमान क़ानूनी इज़ाज़त लेने के लिये कमेटी का गठन करें और अपने साथ मुस्लिम वकीलों को साथ लेकर उनसे सलाह मशविरा करें और जल्द से जल्द लिखित इज़ाज़त लेलें।

जानिए क्या कहता है कानून ध्वनि के मुताल्लिक़?

ध्वनि प्रदूषण (अधिनियम और नियंत्रण) कानून, 2000 जो पर्यावरण (संरक्षण) कानून, 1986 के तहत आता है की 5वीं धारा लाउडस्पीकर्स और सार्वजनिक स्थलों पर बजने वाले यंत्रों पर मनमाने अंदाज में बजने पर अंकुश लगाता है।

लाउडस्पीकर या सार्वजनिक स्थलों पर यंत्र बजाने के लिए प्रशासन से लिखित में अनुमति लेनी होगी।
लाउडस्पीकर या सार्वजनिक स्थलों पर यंत्र रात में नहीं बजाए जा सकेंगे. इसे रात 10 बजे से लेकर सुबह 6 बजे तक बजाने पर रोक है. हालांकि ऑडिटोरियम, कांफ्रेंस रूम, कम्युनिटी और बैंकट हॉल जैसे बंद कमरों या हॉल में इसे बजाया जा सकता है।
नियम की उपधारा (2) के अनुसार, राज्य सरकार इस संबंध में कुछ विशेष परिस्थितियों में रियायतें दे सकती है. वह किसी संगठन या धार्मिक कार्यक्रम के दौरान लाउडस्पीकर या सार्वजनिक स्थलों पर चलने वाले यंत्रों को बजाने की अनुमति रात 10 बजे से बढ़ाकर 12 बजे तक दे सकती है. हालांकि किसी भी परिस्थिति में एक साल में 15 दिन से ज्यादा ऐसी अनुमति नहीं दी जा सकती।
राज्य सरकार के पास यह अधिकार होता है कि वह क्षेत्र के हिसाब से किसी को भी औद्योगिक, व्यावसायिक, आवासीय या शांत क्षेत्र घोषित कर सकता है. अस्पताल, शैक्षणिक संगठन और कोर्ट के 100 मीटर के दायरे में ऐसे कार्यक्रम नहीं कराए जा सकते, क्योंकि सरकार इन क्षेत्रों को शांत जोन क्षेत्र घोषित कर सकती है।


किन क्षेत्रों में क्या है ध्वनि सीमा

इस नियम के अनुसार, सार्वजनिक और निजी स्थलों पर लाउडस्पीकर की ध्वनि सीमा क्रमश: 10 डेसीबल और पांच डेसीबल से अधिक नहीं होगी। रिहाइशी इलाकों में ध्वनि का स्तर सुबह 6 बजे से रात 10 बजे तक 55 डेसीबल तो रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक 45 डेसीबल तक ही रख जा सकता है. जबकि व्यवसायिक क्षेत्र में सुबह 6 बजे से रात 10 बजे तक 65 डेसीबल और रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक 55 डेसीबल तक का स्तर होना चाहिए. दूसरी ओर, औद्घोगिक इलाकों में इस दौरान ध्वनि स्तर को सुबह 6 बजे से रात 10 बजे तक 75 डेसीबल रख सकते हैं. वहीं शांत क्षेत्र (साइलेंस जोन) में इन दौरान क्रमशः 50 डेसीबल और 40 डेसीबल ध्वनि का स्तर रखा जाना चाहिए। पर्यावरण (संरक्षण) 1986 कानून की धारा 15 के तहत इसे दंडनीय अपराध माना गया है. नियम का उल्लंघन करने पर 5 साल की जेल या एक लाख का जुर्माना या फिर दोनों (जेल और जु्र्माना) सजा दी जा सकती है. साथ ही हर दिन के उल्लंघन के पांच हजार रुपये प्रतिदिन की सजा का प्रावधान अलग से है।






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